जब शाम होती थी….
जब शाम होती थी tab
हम उन गलियों से गुज़ारा करते थे..
जब रात होती थी tab
हम घर से निकला करते थे….,,,
जिंदगी मी दुख तो बोहोत आते थे,,,,…
मगर हम युही जिया करते थे,,,,….
प्यार to हमे कुछ यू मिल था की..,,,
प्यारे हमे लोग केहेते थे…,,,
जब शाम होती थी तभी
हम..प्यार किया करते थे…,,,,
कालto सभी के साथ चलता है
मगर हम कालू के साथ हमेशा से थे
जब शाम होती थी तभी
भाई कालू हमारे साथ चलता था
पढ़ई तो काम हमारे दीमाग मी आती थी
हिम्मत नही हमने कभी हारी थी,,…
शेर शायरी दीमाग मी दबी हुई थी
शेर होने के बाद भी,,
शेर हमे किसीने नही कहा था
शरीर से तो शेर हमेशा से था,,,…
मगर , दिल हमारा शेरो वाला कबी न था
और जब शाम होती थी
टैबहमे शेर याद सी आती थी,,,….
1 comment:
bohot achha laga
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